Sanco gold, Sanco gold ipo, sanco gold share, Sanco gold share listing, Sanco gold story, Shankar Sen: सेनको गोल्ड एंड डायमंड एक ऐसा ब्रांड है जिसके साथ 50 साल की विरासत और भरोसा और पारदर्शीता जुड़ी हुई है। यह पूर्वी भारत की सबसे बड़ी ऑर्गेनाइजड ज्वेलरी रिटेलर ब्रांड है।बात करते हैं सेनको गोल्ड के शंकर सेन जिन्होंने इस शिखर तक पहुंचने के लिए कि एक लंबी यात्रा को तय किया है।
आइए जानते है कि शंकर सेन के फैमिली बिजनेस में आने की शुरुआत कहां से हुई? दरअसल साल 1990 के दशक की शुरुआत में शंकर सेन के पिता काफी बीमार थे और उनकी देखभाल करने के लिए और ज्वेलरी शॉप चलाने के लिए शंकर सेन को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ना पड़ी।
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शंकर सेन उस समय कोलकाता विश्वविद्यालय से कॉमर्स की पढ़ाई कर रहे थे। मजबूरी में पढ़ाई छोड़ कर फैमिली बिजनेस में शामिल हो गए थे। उन्हें अपने पिता से केवल 3 आभूषण की दुकान ही विरासत में मिली थी आज देश भर में उनके 127 शोरूम है।
कंपनी द्वारा 4 जुलाई को आईपीओ बाजार में लॉन्च कर दिया गया है। जिसमें 6 जुलाई तक निवेशकों ने बोली लगाई। वही कंपनी ने अपने ₹10 के अंकित मूल्य के 1 शेयर का प्राइस बैंड ₹301 से ₹317 प्रति इक्विटी शेयर रखा है। सेनको गोल्ड का IPO पूरा हो गया है। अब सेनको गोल्ड के शेयर की लिस्टिंग शेयर बाजार में होगी। निवेशकों को सेनको गोल्ड के शेयर से बड़ी उम्मीद है।
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दरअसल इस ब्रांड के कई सारे कलेक्शन है और पश्चिम बंगाल की कोलकाता में इसका मुख्यालय है। वही कंपनी 5 दशकों से सोने के गहने की मैन्युफैक्चरिंग और रिटेलिंग करती है। भारत के 13 राज्यों के 90 शहरों और कस्बों में करीब 127 शोरूम अभी संचालित किए जा रहे हैं।
शंकर सेन के साथ उनका बेटा सुवंकर सेन भी 2008 में फैमिली बिजनेस में शामिल हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि शंकर के पूर्वजों ने 1938 में ढाका में आभूषण व्यवसाय स्थापित किया था लेकिन 1947 में विभाजन के दौरान उन्हें इसे पीछे छोड़ना पड़ा।
इसके बाद रातों-रात शंकर के पिता और भाई कोलकाता चले गए। पिता की तबीयत खराब होने के चलते शंकर को इस व्यवसाय में पढ़ाई छोड़ कर उतरना पड़ा और फिर उन्होंने इस व्यवसाय में इतना नाम कमाया जो कि आज विश्व भर में प्रसिद्ध है। ठीक 3 साल पहले जुलाई 2020 में कोविड के कारण शंकर सेन का निधन हो गया और अब सेनको गोल्ड को उनके बेटे सुवंकर सेन संभाल रहे हैं।
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