Monday, December 23, 2024
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Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या राम मंदिर में विराजित राम लला की ज्वेलरी बनने की अद्भुत कहानी, ज्वेलर अंकुर आनंद की जुबानी

Ram Mandir Ayodhya, Ram ji Darshan, Ram Ji Ayodhya: अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का 22 जनवरी 2024 को उद्धाटन हुआ। मंदिर में विराजित भगवान राम की ज्वेलरी बनने के पीछे अद्भुत कहानी है।  दरअसल भगवान राम की ज्वेलरी लखनऊ की ज्वेलरी कंपनी हरसहायमल श्यामलाल ज्वेलर्स ने बनाई है। गोल्ड सिल्वर न्यूज ने कंपनी के डायरेक्टर अंकुर आनंद से बात कर राम लला की ज्वेलरी बनने की पूरी कहानी जानी। यहां पढ़िए राम लला की ज्वेलरी बनने की पूरी कहानी अंकुर आनंद की जुबानी।

अंकुर आनंद, डायरेक्टर, हरसहायमल श्यामलाल ज्वेलर्स ‘हुआ यूं कि ट्रस्ट की तरफ से मुझे रात में फोन आया कि भगवान राम की मूर्ति बनी है और उनके आभूषण भी बनाने हैं। उनका नाप भी लेना था इसके लिए ट्रस्ट के तरफ से मुझे 1 जनवरी 2024 को बुलाया गया। उन लोगों ने मुझसे पूछा कि क्या आप ज्वेलरी बना पाएंगे क्योंकि समय बहुत कम था। 16 तारीख को भगवान की पूजा पाठ रखी गई थी और 17 तारीख को उनका गर्भगृह में प्रवेश रखा गया था। इसलिए सिर्फ 14 दिन का समय ही मेरे पास था जिसके अंदर मुझे भगवान के सभी आभूषण तैयार करने थे।

इसलिए करीब 1 घंटे बाद मैंने अपनी टीम से बातचीत करके मिश्रा जी को बताया कि मैं भगवान के आभूषण बना दूंगा। इसके बाद 2 जनवरी को मैं अयोध्या पहुँचा। और आप लोग मानोगे नहीं जब मैंने भगवान की मूर्ति को देखा तो मैं बस उन्हें देखता ही रह गया मेरे आंखों से आंसू बहने लगे। भगवान की मूर्ति देखकर ऐसा लग रहा था जिससे कि मानो साढ़े पांच साल का कोई बालक आपके सामने खड़ा हुआ है। जब मैं अयोध्या पहुंचा तो मुझे पहले से पता नहीं था कि भगवान की मूर्ति कैसी है। अखबारों में भी जो खबरें आ रही थी वह पूरे राम दरबार की आ रही थी।

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मुझे पहले बिल्कुल भी यह बात नहीं बताई गई थी कि भगवान की मूर्ति कैसी है जब मैं वहां गया तो मुझे मिश्रा जी मिले एवं राय साहब भी मिले। इस पर चंपत राय जी ने मुझे एक सलाह दी कि आप जब भी आभूषण बनाए तो इस बात का ध्यान रखें कि आप एक साढ़े पांच वर्षीय बालक के लिए आभूषण बना रहे हैं। आभूषण ऐसे ना हो जिससे कि भगवान की उम्र ढंक जाए और ऐसा लगने लगे कि आप बड़े आयु के भगवान की मूर्ति के लिए आभूषण बना रहे हैं। इस बात का खास ध्यान रखा जाए कि आभूषण एक बालक रूप के लिए तैयार किए गए हैं। मेरे लिए एक बहुत ही बड़ा चैलेंज था दूसरी बात उन्होंने मुझे यह कहीं की आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि भगवान राजसी परिवार के हैं और एक राजकुमार हैं इसलिए उनके गहने उतने ही भव्य होने चाहिए।

तो यह जो दोनों चीज मुझे राय साहब के द्वारा कही गई थी दोनों ही चीज काफी ज्यादा कंट्रास्ट में थी और मैं भी उसे समय काफी ज्यादा असमंजस में था। इसके बाद हम लोगों ने वहां पर एक मेजरिंग टेप से मेजरमेंट लिया हम लोग पूरी तरीके से तैयार नहीं थे क्योंकि हमें कुछ पता ही नहीं था की मूर्ति कैसी है।

पहले ऐसी बात हुई कि आभूषण चांदी के बनाए जाएंगे क्योंकि सोने की ज्वेलरी और उसमें हीरे जवाहरात लगाने में समय ज्यादा लग जाता है। सोने की ज्वेलरी में लगभग दो से ढाई महीने का समय लगता। इस बात पर मैंने कहा कि मैं आपको कल या परसों में बताता हूं कि इसे हम सोने में बना सकते हैं कि नहीं आप मुझे थोड़ा समय दीजिए। इसके साथ मुझे भगवान का धनुष और तीर बनाने का भी काम दिया जो की सोने से बने हुए हैं।

Ayodhya Ram Ji jewellery

सभी जानकारी लेने के बाद 3 जनवरी को मैं अपनी जयपुर की फैक्ट्री गया और वहां पर मैंने अपने सभी कारीगरों से बात की और फिर सभी से से पूछा कि भगवान का काम है हो जाएगा क्या क्योंकि हमारे पास उस वक्त सिर्फ 13 दिन ही बाकी थे। कारीगरों में और हमारी पूरी टीम में जोश था। फिर सभी ने एक सहमति बनाई और फिर 3 तारीख को रात को 11:00 बजे मैंने चंपत राय जी से बात की और उनको कहा कि मैं भगवान का काम करने के लिए तैयार हूं। ज्वेलरी सोने में ही बनाने का तय हुआ।

इसके बाद 132 कारीगरों की टीम मैंने लगाई। दिन रात हम लोगों ने 5 जनवरी तक सबसे पहले डिजाइंस तैयार की और जैसे जैसे डिजाइंस तैयार होते जा रहे थे हम ट्रस्ट से अप्रूवल लेते जा रहे थे। उसी के आधार पर काम शुरू हुआ और 12-13 दिन में भगवान के सारे आभूषण सर्टिफिकेशन के साथ तैयार हुए क्योंकि उसमें सभी नेचुरल डायमंड लगे हुए हैं इसलिए उनका सर्टिफाई होना बहुत जरूरी था। जिसके लिए आइजीआई ने हमे सपोर्ट किया क्योंकि भगवान के आभूषणों में 18500 हीरे लगे थे, 3500 रूबी लगे थे और लगभग 700 पन्ने लगे हुए थे। इसलिए उनका सर्टिफिकेशन बहुत ज्यादा जरूरी था। करीब डेढ़ दिन में सर्टिफिकेशन प्रदान किया गया।

मैंने जो डायमंड का सेलेक्शन किया वह सबसे ज्यादा कठिन था। इन डायमंड को सोर्स करने में काफी ज्यादा मेहनत लगी है इसके लिए मुझे 2 दिन मुंबई में भी रहना पड़ा।  टेंशन था क्योंकि जेमस्टोन ऐसी चीज है जो कभी डिफाइन नहीं होती कि आप इसी साइज का बनाने वाले हैं तो यह सब मैंने दो-तीन दिन में काफी मेहनत करके सिलेक्ट किया।

पूरे आभूषण में भगवान के तिलक की विशेष कहानी है उसमें दिन के ठीक 12:00 बजे सूर्य की किरणें भगवान के तिलक से होते हुए मुकुट की तरफ जाएगी। सभी आभूषणों में सबसे भव्य जो चीज है वह भगवान का तिलक है। राम लला की ज्वेलरी में भगवान का एक छोटा हार, तिलक, कौस्तुभ मनी, कमरबंध, विजय माल, हाथों के कंगन, बाजूबंद, पैर के खड़ाऊ और पैर में एक जोड़ी पायल है। उनकी मुद्रिका यानी की अंगूठियां भी बनाई गई हैं।

मुकुट के बीच में मैं सूर्य भगवान लगाए हैं क्योंकि भगवान राम सूर्यवंशी हैं। इसलिए सूर्य में हमने माणिक का उपयोग किया है और उनके जो कान के कुंडल है उसमें हमने मयूर लगाए हैं सेंटर में एक बड़ा पन्ना लगाया है। इसी के हिसाब से मैंने बाकी रत्नों का इस्तेमाल किया है।

राम लला के आभूषण बनाने समय मुझे ऐसा लगा कि भगवान खुद मुझे ऐसे दिखा रहे थे और बता रहे थे कि वो कैसे दिखना चाहते हैं। मेरे मन में वह एक अपना पूरा रूप मुझे दिखा रहे थे। इस तरह मैं राम लला की पूरी ज्वेलरी बना पाया।

संयोग से 21-22 जनवरी दोनों दिन मैं अयोध्या में रहा। 21 तारीख को मैंने भगवान को तैयार भी किया पूरे आभूषणों के साथ। साथ ही 22 जनवरी के दिन को जो कि प्राण प्रतिष्ठा थी सेरेमनी थी उस दिन भी मैं अयोध्या में ही था। उस दिन में सबसे पीछे जाकर बैठ गया। मैं यह सोच रहा था कि जब भी भगवान को लोग पहली नजर में देखेंगे तो लोगों की जो पहला रिएक्शन आएगा उससे पता चल जाएगा की मेरी ज्वेलरी पसंद आई है या नहीं तो यह काफी ज्यादा इंटेंस पीरियड था मेरे लिए।

यह हमारे ऊपर भगवान का आशीर्वाद है उनकी ज्वेलरी बनाने का सौभाग्य हमें मिला। राम लला की ज्वेलरी को पूरी दुनिया ने पसंद किया इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। मेरे लिए बहुत प्रेशर था कि दुनिया में लोग मेरी बनाई हुई चीज को देखेंगे और हिंदू धर्म के लिए बहुत ही बड़ी बात है क्योंकि राम मंदिर का और भगवान राम लला हमारे हिंदू धर्म के लिए बहुत ही बड़ा आस्था का विषय है। हिंदू धर्म के सभी लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी होती है।

अब पूरी दुनिया से लोग हमसे संपर्क कर रहे हैं। लोग मुझसे कह रहे थे कि हम आपसे मिलना चाहते हैं आपके चरण छूना चाहते हैं, आपसे हाथ मिलाना चाहते हैं तो यह जो एक एक्सपीरियंस था यह मेरे लिए बहुत ही इमोशनल करने वाला अनुभव था और रोमांचक अनुभव भी था और मै इसे भगवान का आशीर्वाद मानता हूं क्योंकि इस कार्य के बाद पूरी दुनिया से कई लोग ऐसे हैं जो मुझसे जुड़ना चाहते हैं, मेरे साथ काम करना चाहते हैं और मुझसे बात करना चाहते हैं। परिवार में मेरी माताजी पिछले 40 सालों से काम कर रही हैं। वह हमेशा से ही हमारी प्रेरणा स्रोत रही हैं। आज जो हमारी कंपनी है यह पूरा उनका ही विजन है। हमारी माता जी हमें सही दिशा में मार्गदर्शन देती रहती है और मेरे बड़े भैया भी मार्गदर्शन करते हैं।’ इस पूरे इंटरव्यू को आप यहां पर देख सकते हैं

अयोध्या राम मंदिर के राम लला की ज्वेलरी बनने की कहानी जानिए
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