Gold Price High: सोने का भाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 6 साल की ऊंचाई के पास है। आज गोल्ड प्राइस टूडे सोने के भाव की तेजी के पीछे के 5 बड़े कारण आपको बताएगा।
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक जून के 22 दिन में सोने का भाव 8 फीसदी बढ़ा है ये 2016 के बाद से सोने के भाव (Gold Price) में 1 महीने में होने वाली सबसे बड़ी तेजी है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर सोना 1400 डॉलर के पार चला गया था।
सोने के भाव (Gold Price) की तेजी का पहला कारण। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की बुलियन पर रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया कि विश्व में अधिकतर केंद्रीय बैंक सोना (Gold) खरीद रहे हैं। इसमें चीन, भारत, कजाकिस्तान, रशिया, पोलेंड और हंगरी के केंद्रीय बैंक है। वैश्विक स्तर पर गोल्ड रिजर्व (Gold Reserve) में भी बढ़ोतरी हो रही है। सोने की तेजी का पहला कारण यही है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय बैंक ही सोने (Gold) के सबसे बड़े निवेशक हैं। इनके पास फरवरी 2019 तक 30 हजार टन सोना था। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि आखिर केंद्रीय बैंक (Central Banks) सोना क्यों खरीद रहे हैं क्या उनको ऐसा कुछ पता है जो हमें पता नहीं है।
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2008 के वित्तीय संकट के बाद केंद्रीय बैंकों ने 651.5 टन सोने की होल्डिंग (Gold Holdings) बढ़ाई। 1967 के बाद दूसरी बार इतनी बड़ी मात्रा में बैंकों ने सोना खरीदा है। 1967 में बैंकों का गोल्ड रिजर्व 1404 टन बढ़ा था।
सोने के भाव (Gold Price) में तेजी का दूसरा बड़ा कारण व्यापार युद्ध है। अमेरिका और चीन के बीच हाल में जो तनाव बढ़ा है इसके कारण निवेशकों का ध्यान सोने की तरफ बढ़ा है। विश्व में जब भी अनिश्चितता बढ़ती है तो लोग सोने में निवेश की तरफ भागते हैं क्योंकि इसे ही सबसे अधिक सुरक्षित निवेश माना जाता है। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग में रिसर्च के हेड रवि सिंह के मुताबिक ईरान और अमेरिका के बीच का तनाव भी सोने में तेजी का कारण है।
चीन (China) विश्व का सबसे अधिक सोना (Gold) उत्पादन करने वाला देश है। इसके अलावा सोने के भाव पर अमेरिका और मैक्सिको के तनाव का भी असर है। इंडिया निवेश में डायरेक्टर और कमोडिटी के हेड मनोज जैन के मुताबिक वैश्विक स्तर पर चल रहे तनाव का असर सोने के भाव पर पड़ रहा है।
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सोने में तेजी का तीसरा कारण दुनिया भर के बैंकों का नरम रूख (Dovish View) है। जब केंद्रीय बैंक नरम (Dovish) रूख अपनाते हैं तो इसका अर्थ है वो ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में हैं। इसे अंग्रेजी में डोविश रूख (Dovish View)भी कहते हैं।
केंद्रीय बैंक का नरम रूख किसी देश की करेंसी (Currency) के लिए नकारात्मक होता है। इससे वहां की करेंसी कमजोर होती है। जब अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने कहा कि वो ब्याज दरें घटाएंगे तो डॉलर (Dollar) में तुरंत से कमजोरी दिखने लगी। जिससे सोने के भाव बढ़ने लगे।
दुनिया के बैंक नरम रूख (Dovish View) तब अपनाते हैं जब उस देश की आर्थिक गति को बढ़ाना हो। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने नरम रूख अपना रखा है। इसी तरह बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank Of England), यूरोपीयन सेंट्रल बैंक (European Central Bank), चीन और रूस के केंद्रीय बैंक का रूख भी अभी नरम (डोविश) है।
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने हाल ही में कहा है कि वो अपना रूख एकोमोडेटिव रखेंगे। इसका अर्थ है जरूरत पड़ने पर ब्याज दरों (Interest Rate) में कटौती होगी। एंजेल कमोडिटी में डिप्टी वीपी अनुज गुप्ता के मुताबिक अमेरिका में ब्याज दरें घटने के संकेत के कारण भी सोने में तेजी आई है।
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सोने में तेजी का चौथा कारण रूस (Russia) से भी आ रहा है। रूस पिछले 13 साल से अपना गोल्ड रिजर्व (Gold Reserve)बढ़ा रहा है। रूस डॉलर के मुकाबले सोने की होल्डिंग बढ़ाने पर जोर दे रहा है। रूस ने 2018 में 274 टन सोना खरीदा।
चीन (China) ने भी अकेले 2019 में 50 टन सोना खरीदा। चीनी सेंट्रल बैंक पिछले 6 महीने से लगातार सोना खरीद रहा है। इसी तरह टर्की ने भी 40 टन सोना खरीदा है।
केंद्रीय बैंक (Central Banks) के सोना खरीदने के आंकड़े देर से मिलते हैं। इनके सोना खरीदने का अर्थ है ये अपने पोर्टफोलियो में विविधता (Diversification) लाना चाहते हैं और भविष्य में होने वाले नुकसान से बचना चाहते हैं।
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इस कारण सोने में तेजी (Gold Price Rise) आ रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council)और एस एंड पी ग्लोबल (S&P Global) जैसी संस्थाओं के मुताबिक सोने का वैश्विक उत्पादन सबसे ज्यादा ऊंचाई पर है।
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय बैंक अभी सोने की खरीद (Gold Buying) बंद करने की मूड में नहीं हैं। इसलिए व्यापार से जुड़े तनाव (Trade Tensions)के कारण मीडियम टर्म में सेंटीमेंट खराब हो सकती है।
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इस कारण केंद्रीय बैंक सोने से अपने को कवर कर सकते हैं। जब तक ट्रेड वार (Trade War) की अनिश्चितता बनी रहती है तब तक सोने में बिकवाली का दबाव नहीं आएगा। अजय केडिया के मुताबिक गोल्ड ईटीएफ में भी खरीदारी देखी जा रही है इस कारण भी सोने में तेजी है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भी रिजर्व बैंक (RBI) चीन और रूस की तरह इस साल सोने की खरीद बढ़ा सकता है। पिछले साल रिजर्व बैंक ने अपना रिजर्व 42 टन बढ़ाया था। अभी रिजर्व बैंक के पास कुल 618 टन सोना है।
रिपोर्ट के मुताबिक कॉमेक्स पर सोने का भाव 1435 डॉलर से 1440 डॉलर तक जा सकता है। वहीं MCX पर सोने का भाव 34050 से 34400 रुपए के स्तर दिखा सकता है।
सोने में तेजी का पांचवा कारण वैश्विक स्तर पर मंदी (Recession) की आशंका भी है। केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक अधिकतर देशों के आर्थिक आंकड़े कमजोर आ रहे हैं। जिसमें चीन और अमेरिका भी है। जब भी विश्व में मंदी की आशंका होती है दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट आती है और सोने में निवेश बढ़ता है।
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मुंबई में उम्मेदमल तिलोकचंद जवेरी के डायरेक्टर कुमार जैन के मुताबिक सोने के भाव (Gold Price) बढ़ने का असर बाजार पर देखने को मिल रहा है। उनके मुताबिक अब लोग बाजार में पुराना सोना लेकर बेचने आ रहे हैं।
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डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। अगर आप कोई भी निवेश करते हैं तो पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय अवश्य लें। भाव की हमारी कोई भी जिम्मेदारी नहीं है। गोल्ड प्राइस टूडे से जुड़े लोग निजी तौर पर सोने चांदी की खरीद, बिक्री या ट्रेडिंग नहीं करते हैं। आपको होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी गोल्ड प्राइस टूडे की नहीं होगी।