Gold Exchange, Silver ETF, गोल्ड एक्सचेंज: शेयर और कमोडिटी मार्केट रेगुलेटर SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने 28 सितंबर 2021, मंगलवार को बोर्ड बैठक में गोल्ड एक्सचेंज (Gold Exchange) को मंजूरी दे दी है। गोल्ड एक्सचेंज सोने की खरीद या बिक्री करने का नेशनल प्लेटफॉर्म होगा। इससे सोने का भाव तय करने का एक राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा। सेबी के इस कदम से सोने का कारोबार पूरी तरह से बदल जाएगा।
इसके साथ ही गोल्ड ईटीएफ की तरह सिल्वर ईटीएफ (Silver ETF) को भी सेबी ने मंजूरी दे दी है। मतलब अब लोग गोल्ड ईटीएफ के साथ सिल्वर ईटीएफ भी खरीद सकेंगे। इसको स्टॉक एक्सचेंज लॉन्च करेंगे।
सेबी ने एक महत्वपूर्ण बोर्ड बैठक के बाद जारी प्रेस रिलीज में कहा कि Gold Exchange and SEBI (Vault Managers) Regulations, 2021 को सेबी ने मंजूरी दे दी है। देश के 3 बड़े एक्सचेंज BSE, NSE और MCX ने पहले ही गोल्ड एक्सचेंज को लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली है। पिछले 1 साल से ज्यादा समय से देश के बड़े एक्सचेंज, गोल्ड एक्सचेंज पर तैयारी कर रहे थे।
आखिर गोल्ड एक्सचेंज किस तरह से सोने के कारोबार को बदल देगा ये समझना जरूरी है। इसके बाद समझेंगे कि गोल्ड एक्सचेंज में ट्रेडिंग कैसे होगी और इससे ज्वेलर्स को क्या फायदा होगा।
गोल्ड एक्सचेंज के आने से ज्वेलर्स को सोने के भाव तय करने में आसानी होगी। अभी भाव MCX या IBJA (Indian Bullion Jewellery Association) के भाव से तय होते हैं। स्पॉट गोल्ड एक्सचेंज के आने से सोने की कीमत तय करने में आसानी होगी।
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MCX और IBJA के भाव भी लंदन के लंदन मेटल एक्सचेंज और कॉमेक्स के हिसाब से तय होते हैं। भारत चीन के बाद सोने की खपत करने वाला दूसरा बड़ा देश है पर खुद अपने सोने का भाव तय नहीं कर सकता उसे इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मार्केट पर निर्भर होना पड़ता है। अब ये निर्भरता कम होगी।
गोल्ड एक्सचेंज पर आग ग्राहकों के साथ ज्वेलर्स भी खरीदारी कर वॉल्ट से सोने की डिलीवरी ले सकते हैं। मतलब अब जेवर के लिए सोना चाहिए तो वो वॉल्ट से सोना ले सकेंगे। उनके अलावा बैंक, इंपोर्टर्स, रिफाइनरी, ट्रेडर्स और मैन्युफैक्चरर भी सोना खरीद सकते हैं। ग्राहकों को गोल्ड एक्सचेंज से शुद्ध और खरा सोना मिलेगा। इससे ज्वेलर्स हेजिंग भी कर सकेंगे।
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अब समझते हैं कि ये गोल्ड एक्सचेंज आखिर क्या बला है और ये काम कैसे करेगा। आपने शेयर मार्केट में शेयर की ट्रेडिंग तो देखी ही होगी तो गोल्ड एक्सचेंज में सोने की ट्रेडिंग, डिलीवरी और खरीद, बिक्री एकदम शेयरों के जैसे ही होगी।
सेबी ने सोने के शेयर का नाम दिया है इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट, Electronic Gold Receipt’ जिसे शॉर्ट में (EGR) कहा जाएगा। मतलब एक्सचेंज पर सोने को EGR कहा जाएगा और इसकी ही ट्रेडिंग होगी।
अब स्टॉक एक्सचेंज EGR को लॉन्च कर सकते हैं। एक EGR कितने वजन का होगा ये स्टॉक एक्सचेंज तय करेंगे। मतलब 1 ग्राम, 10 ग्राम, 50 ग्राम, 100 ग्राम, 500 ग्राम, 1 किलो या 10 किलो किस डिनोमिनेशन में ट्रेडिंग होगी ये एक्सचेंज सेबी की मंजूरी से तय करेंगे।
शेयरों की तरह ही क्लियरिंग कॉर्पोरेशन को जिम्मेदारी दी गई है कि वो खरीदार और बिकवाल के खाते में इन EGR को डाले या निकाले। मान लीजिए आपने गोल्ड एक्सचेंज से 50 ग्राम का EGR खरीदा। अब ये आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएगा।
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2 महीने बाद आपका मन किया कि मुझे गहने बनाने हैं तो आप 50 ग्राम के EGR को वॉल्ट पर सरेंडर कर देंगे और वहां से 50 ग्राम शुद्ध खरा सोना ले सकते हैं। सेबी ने सोने का पूरा वॉल्ट सिस्टम बनाने के भी नियम जारी किए हैं। जिनकी जानकारी नीचे दी गई है।
सेबी के मुताबिक गोल्ड एक्सचेंज से देश में गोल्ड इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगा। गोल्ड एक्सचेंज एक गोल्ड EGR को खरीदने और बेचने का एक नेशनल प्लेटफॉर्म होगा। इसके जरिए सोने की कीमत का एक राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा। इसके जरिए प्राइस डिस्कवरी, इन्वेस्टमेंट लिक्विडिटी और सोने की क्वालिटी जैसे फायदे मिलेंगे।
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सेबी के मुताबिक गोल्ड एक्सचेंज के कुछ खास फीचर्स इस प्रकार से होंगे
-सोने को इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट, Electronic Gold Receipt’ (EGR) कहा जाएगा।
-इसको शेयर जैसे ही सिक्योरिटीज का दर्जा मिलेगा। इनकी ट्रेडिंग, क्लियरिंग और सेटलमेंट भी शेयर की तरह ही होगी।
-कोई भी मौजूदा स्टॉक एक्सचेंज या नया एक्सचेंज EGR में एक अलग सेगमेंट में ट्रेडिंग लॉन्च कर सकेगा।
-EGR की ट्रेडिंग के डिनोमिनेशन यानि की 1 ग्राम, 5 ग्राम, 1 किलो या 10 किलो कैसे होगी इसको एक्सचेंज, सेबी की मंजूरी से तय कर सकेंगे।
-क्लियरिंग कॉरपोरेशन सोने के EGR के ट्रेड को सेटल करेंगे। मतलब खरीदार और बिकवाल को यही EGR ट्रांसफर करेंगे।
-कोई भी सोने के इन EGR को अपने अकाउंट में जबतक चाहे तबतक रख सकता है।
-अगर कोई चाहे तो इन EGR को सरेंडर करके वॉल्ट से उतना सोना ले सकता है।
-सोने को वॉल्ट से निकालने की कीमत कम रहे इसके लिए वॉल्ट मैनेजर्स के बीच में ये इंटरऑपरेबल रहेंगे। मतलब आप किसी भी वॉल्ट से सोना निकाल सकते हैं।
सेबी ने इसके साथ ही SEBI (Vault Managers) Regulations, 2021 को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत 50 करोड़ की नेटवर्थ से कोई भी वॉल्ट मैनेजर बन सकता है। वॉल्ट मैनेजर सेबी के तहत इंटरमिडयरी के तौर पर काम करेंगे। इनका काम सोने को स्टोरेज करना, उसकी रक्षा करना, ईजीआर बनाना और सोने को निकालना की सेवा देना।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में लोगों के पास 20 से 25 हजार टन सोना पड़ा है। इसके अलावा भारत विदेशों से हर साल 800 से 1000 टन तक सोना इंपोर्ट करता है।
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