International Bullion Exchange India: भारत के अहमदाबाद की GIFT सिटी में जल्द ही इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज खोलने की तैयारी हो रही है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि इससे भारत खुद सोने, चांदी के भाव तय कर सकेगा। क्या सचमुच ऐसा संभव है या फिर सोने का भाव तय करने में इंटरनेशनल मार्केट का ही हाथ रहेगा। सच यहां जानिए।
गुजरात के अहमदाबाद के पास गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (GIFT) है। यहीं पर इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (International Bullion Exchange India) को खोलने की तैयारी चल रही है। ये एक्सचेंज इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर अथॉरिटी (IFSCA) की निगरानी में खोला जा रहा है। इसमें सोने, चांदी की स्पॉट ट्रेडिंग होगी।
IFSCA ही इंटरनेशनल गोल्ड एक्सचेंज का रेगुलेटर भी होगा। ये संस्था भारत सरकार ने इंटरनेशनल सर्विसेज सेंटर में आने वाली सभी वित्तीय सेवाओं के रेगुलेशन के लिए बनाई है। इसका मुख्यालय गांधीनगर में है। इसमें SEBI, RBI, IRDAI, PFRDA और वित्त मंत्रालय के लोग सदस्य होंगे।
दैनिक जागरण ने आर्थिक मामलों के सचिव तरूण बजाज के हवाले से बताया है कि भारत का इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज अगले कुछ महीनों में शुरू हो जाएगा। खबर के मुताबिक आने वाले समय में भारत इस बुलियन एक्सचेंज के जरिए खुद सोने, चांदी के भाव तय करने में सक्षम होगा उसे इंटरनेशनल एक्सचेंज पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
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इस इंटरनेशनल बुलियन स्पॉट एक्सचेंज में बैंकों, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, MMTC जैसी एजेंसी को सदस्य बनाया जा सकता है। बड़े ज्वेलर्स को डीलरशिप भी मिल सकती है।
पिछले कुछ दिनों से इंटरनेशनल मार्केट में सोने, चांदी के भाव में भारी उतार-चढ़ाव चल रहा है। जिसका असर भारत के बाजारों पर भी पड़ा है। भारत में अभी सोने, चांदी के भाव इंटरनेशनल एक्सचेंज कॉमेक्स और लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) को देखकर किए जाते हैं। इसी आधार पर MCX में वायदा भाव में होने वाले सौदे के दाम तय होते हैं।
ज्वेलर्स भी इसी आधार पर सोने, चांदी के दाम तय करते हैं। अब कहा जा रहा है कि इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज आने से भारत खुद सोने का भाव तय कर सकेगा। क्या सचमुच ऐसा हो सकता है। भारत में सालाना 700 से 800 टन सोने की खपत होती है।
जानकारों के मुताबिक इस एक्सचेंज से कुछ हद तक भारत को सोने, चांदी के दाम तय करने की आजादी मिल सकती है पर भारत पूरी तरह से भाव पर नियंत्रण नहीं कर पाएगा। सबसे पहली बात है भारत में बड़े पैमाने पर सोने, चांदी का उत्पादन नहीं होता। भारत में सोना विदेश से आता है। विदेश से आने वाले सोने का भाव विदेश में उस समय चल रहे भाव के आधार पर तय होगा। इसके अलावा डॉलर और रुपए के भाव का असर भी सोने पर पड़ता है।
मान लीजिए विदेश में 10 ग्राम सोना 49000 रुपए (700 डॉलर) में मिल रहा है तो क्या भारत अपने स्पॉट एक्सचेंज पर इसका भाव 40000 रुपए (571 डॉलर ) रख पाएगा। जवाब है बिल्कुल नहीं। भारत में अगर इतना सस्ता सोना मिलेगा तो विदेश के सभी निवेशक इसको खरीदने के लिए यहां टूट पड़ेंगे क्योंकि वो यहां सस्ता खरीद कर विदेश में महंगा बेचकर मुनाफा कमाएंगे। इसलिए सोने, चांदी के भाव तय होने में इंटरनेशनल मार्केट का ही बड़ा हाथ रहेगा।
अगर विदेशी एक्सचेंज कॉमेक्स या लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBAM) पर सोने, चांदी के भाव में उठापटक होगी तो भारत का स्पॉट एक्सचेंज इससे अछूता नहीं रह पाएगा। इसको आप ऐसे समझ सकते हैं। भारत का अपना शेयर बाजार BSE और NSE है।
इन पर भारतीय कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग होती है जिनमें से अधिकतर का विदेश से लेना देना नहीं है। इसके बाद भी न्यूयॉर्क के शेयर बाजार डाओ जोंस और नैस्डेक में तेजी, मंदी आती है तो भारत के शेयर बाजार में भी वैसा ही रिएक्शन होता है। एशियाई और यूरोपियन शेयर बाजार का असर भी BSE, NSE पर पड़ता है। इसलिए ये कहना की भारत खुद सोने का भाव तय कर सकेगा ये अभी थोड़ा जल्दबाजी लगता है।
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