नई दिल्ली: मोदी सरकार की कैबिनेट ने डिपॉजिट को लेकर नया नियम बनाया है। कैबिनेट ने अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक-2018 को अध्यादेश के माध्यम से लागू किए जाने के निर्णय को मंजूरी दे दी है। इसको राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई है। अब कोई भी अवैध रुप से किसी तरह की रकम डिपॉजिट के तौर पर नहीं ले सकेगा।
कई राज्यों में बहुत सी कंपनियों ने लोगों से रकम जुटाकर उन्हें धोखा दिया और रकम नहीं लौटाई। इसके बाद ये नियम बनाया गया है। इस नियम के बाद ज्वेलर्स की चल रही गोल्ड डिपॉजिट स्कीम भी बंद हो जाएगी।
कई बड़े ज्वेलर्स 1 साल के डिपॉजिट स्कीम पर सोना बेचते हैं। ज्वेलरी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि इस नियम के बाद ये ज्वेलर्स डिपॉजिट स्कीम नहीं चला पाएंगे।
सरकार की जारी विज्ञप्ति के मुताबिक इस विधेयक में प्रतिबंध लगाने का एक व्यापक अनुच्छेद है, जो जमा राशि जुटाने वालों को किसी भी अनियमित जमा योजना का प्रचार-प्रसार करने, संचालन करने, विज्ञापन जारी करने अथवा जमा राशि जुटाने से प्रतिबंधित करता है।
इसका उद्देश्य यह है कि यह विधेयक अनियमित जमा जुटाने से जुड़ी गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा देगा। इसके तहत इस तरह की गतिविधियों को प्रत्याशित अपराध माना जाएगा, जबकि मौजूदा विधायी-सह-नियामकीय फ्रेमवर्क केवल व्यापक समय अंतराल के बाद ही यथार्थ या अप्रत्याशित रूप से प्रभावी होता है।
इसमें अपराधों के तीन प्रकार निर्दिष्ट किये गये हैं, जिनमें अनियमित जमा योजनाएं चलाना, नियमित जमा योजनाओं में धोखाधड़ी के उद्देश्य से डिफॉल्ट करना और अनियमित जमा योजनाओं के संबंध में गलत इरादे से प्रलोभन देना शामिल हैं।
विधेयक में कठोर दंड देने और भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है, ताकि लोग इस तरह की गतिविधियों से बाज आ सकें।
अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक में उन मामलों में जमा राशि को वापस लौटाने या पुनर्भुगतान करने के पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं, जिनके तहत ये योजनाएं किसी भी तरह से अवैध तौर पर जमा राशि जुटाने में सफल हो जाती हैं।
नए नियम के तहत सक्षम प्राधिकरण द्वारा सम्पत्तियों/परिसम्पत्तियों को जब्त करने और जमाकर्ताओं को पुनर्भुगतान करने के उद्देश्य से इन परिसम्पत्तियों को हासिल करने का प्रावधान किया गया है।
सम्पत्ति को जब्त करने और जमाकर्ताओं को धनराशि वापस करने के लिए स्पष्ट समय-सीमा तय की गई है। विधेयक में एक ऑनलाइन केन्द्रीय डेटाबेस बनाने का प्रावधान किया गया है, ताकि देश भर में जमा राशि जुटाने की गतिविधियों से जुड़ी सूचनाओं का संग्रह करने के साथ-साथ उन्हें साझा भी किया जा सके।
अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक-2018 में ‘जमा राशि जुटाने वाले’ और ‘जमा राशि या डिपॉजिट’ को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है। ‘जमा राशि जुटाने वालों’ में ऐसे सभी संभावित निकाय (लोगों सहित) शामिल हैं, जो जमा राशियां जुटाते रहे हैं। इनमें ऐसे विशिष्ट निकाय शामिल नहीं हैं, जिनका गठन विधान के जरिये किया गया है।
‘जमा राशि या डिपॉजिट’ को कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है कि जमा राशि जुटाने वालों को प्राप्तियों के रूप में छलपूर्वक आम जनता से धनराशि जुटाने पर प्रतिबंधित कर दिया गया है और इसके साथ ही किसी प्रतिष्ठान द्वारा अपने व्यवसाय के तहत सामान्य ढंग से धनराशि स्वीकार करने पर कोई अंकुश नहीं लगाया गया है या इसे बाधित नहीं किया गया है।
व्यापक केन्द्रीय कानून होने के नाते इस विधेयक में सरकारी कानूनों से सर्वोत्तम तौर-तरीकों को अपनाया गया है और इसके साथ ही विधान के प्रावधानों पर अमल की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी गई है।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण 2016-17 में यह घोषणा की थी कि अवैध रूप से जमा राशि जुटाने वाली योजनाओं के खतरे से निपटने के लिए एक व्यापक केन्द्रीय कानून बनाया जाएगा, क्योंकि हाल ही के महीनों में इस तरह की योजनाओं के जरिये देश भर के विभिन्न हिस्सों में अनगिनत लोगों को भारी आर्थिक चपत लगाने के मामले सामने आये हैं।
इन योजनाओं के बुरी तरह शिकार होने वालों में गरीब और वित्तीय दृष्टि से निरक्षर लोग शामिल हैं। यही नहीं, इस तरह की योजनाओं का जाल अनेक राज्यों में फैला हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचनाओं के मुताबिक जुलाई, 2014 और मई, 2018 के बीच की अवधि के दौरान अनधिकृत योजनाओं के 978 मामलों पर विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की राज्य स्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी) की बैठकों में विचार किया गया और उन्हें राज्यों के संबंधित नियामकों/कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सुपुर्द किया गया।
इसके बाद वित्त मंत्री ने बजट भाषण 2017-18 में यह घोषणा की थी कि अवैध रूप से जमा राशि जुटाने वाली योजनाओं के खतरे पर अंकुश लगाने के लिए विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक तौर पर पेश किया गया है और इसे अंतिम रूप देने के बाद जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। अब
अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक-2018 को अध्यादेश के माध्यम से लागू किया गया है। (पीआईबी पर जारी विज्ञप्ती के सहयोग से)