Friday, November 8, 2024
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Missing Gold: CBI कस्टडी से 103 किलो सोना गायब, जानिए ये सोना किसका था

Missing Gold CBI: तमिलनाडु में सीबीआई की कस्टडी से 103 किलो सोना (Gold) गायब होने की चर्चा सभी दूर है। सोना गायब होने की ये पूरी कहानी फिल्मी है। यहां जानिए किस तरह पता चला कि 103 किलो सोना गायब हुआ और ये सोना किसका था। कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच सीबी-सीआईडी को सौंप दी है। जानिए सोना गायब होने की पूरी कहानी।

MMTC के अधिकारियों पर 2012 में चेन्नई की कंपनी सुराना कॉर्पोरेशन पर फायदा पहुंचाने का आरोप लगा था। ये कंपनी सोने, चांदी का आयात करती है। इस मामले में उस समय सीबीआई ने 400.47 किलो सोना जब्त किया था। ये पूरा सोना गहनों और ईंटो के रूप में था।

इस सोने को सुराना कॉर्पोरेशन के चेन्नई स्थित ऑफिस से जब्त किया गया था। इस सोने को फर्म के वॉल्ट में सील कर लॉक कर दिया गया था। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सीबीआई ने दावा किया की इसकी चाबियां चेन्नई में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट को जमा कर दी गई थी। इस बारे में तारीख का कोई उल्लेख नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2013 में सीबीआई ने एक और केस रजिस्टर किया और कहा कि जब्त किए गए सोने की 2012 के केस में जरूरत नहीं थी। सुराना कंपनी ने ये सोना फॉरेन ट्रेड पॉलिसी का उल्लघंन कर आयात किया था।

इस तरह सीबीआई ने मांग की कि जब्त किए गए सोने को नए केस में ट्रांसफर कर दिया जाए। इसके बाद कोर्ट ने इस सोने को ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी। इसका भौतिक सत्यापन नहीं किया गया कि सोना कितना था।

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2015 में सीबीआई ने दूसरा केस यह कहकर बंद कर दिया कि इसमें पर्याप्त सबूत नहीं है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने इसको मान लिया पर सोने को डीजीएफटी को ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया। बाद में सुराना कंपनी की अर्जी पर इस फैसले पर मद्रास हाईकोर्ट ने रोक लगा दी।

मामले में नया मोड़ तब आया जब सुराना कॉर्प ने देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई का कर्ज नहीं चुकाया। कंपनी पर बैंक का 1160 करोड़ रुपए कर्ज था।

इस पर बैंक ने सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से जब्त सोने को अपने कब्जे में लेने की मांग की। एसबीआई और सुराना ने एक करार किया जिसके तहत 400.47 किलो सोना स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सौंपने की बात थी। सीबीआई ने इसका विरोध किया।

एसबीआई ये मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास ले गया। मामले में नया मोड़ तब आया जब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने एसबीआई बैंक की अर्जी पर आदेश दिया कि सोने को उन 6 बैंकों को सौंप दिया जाए जिनसे सुराना कॉर्प ने लोन लिया था।

इसके बाद सीबीआई ने बैंक की मौजूदगी में इस साल फरवरी के महीने में वॉल्ट को खोला गया। सबको आश्चर्य तब हुआ जब वॉल्ट में 103.86 किलो सोना कम निकला।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सीबीआई ने कोर्ट को कहा कि उन्होंने जब्ती के समय सुराना कंपनी के ऑफिस की वजन तोलने की मशीन से 400.47 किलो सोना तोला था। वॉल्ट की सील में भी कोई छेड़छाड़ नहीं है इसलिए लापता सोने के लिए सीबीआई को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

विशेष सरकारी वकील ने दलील दी कि वजन में गड़बड़ी हो सकती है क्योंकि सोने की चेन जब्ती के समय एक साथ तोली गई थी जबकि फरवरी 2020 में जब वजन किया गया तब मशीन ज्यादा अच्छी थी।

कोर्ट ने वजन में 100 किलो की गड़बड़ी की बात मानने से इंकार कर दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नई की सीबी-सीआईड मेट्रो विंग को मामले की जांच करने के लिए कहा। ये जांच एक एसपी रैंक के ऑफिसर को 6 महीने के भीतर देने के लिए कहा है।

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